

छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य सशक्तिकरण के लिए प्रमुख हितधारकों को प्रशिक्षित किया गया
जोधपुर। स्कूल और कॉलेज स्तर के छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने तथा आत्महत्या जैसे गंभीर जोखिमों की समय पर पहचान एवं प्रभावी प्रतिक्रिया के उद्देश्य से, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर के सामुदायिक चिकित्सा एवं परिवार चिकित्सा विभाग द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट (DCPU), जोधपुर परिसर में किया गया। यह प्रशिक्षण ICMR (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) की बहु-राज्यीय क्रियान्वयन अनुसंधान अध्ययन “Suicide Risk Reduction and Improving Mental Wellbeing among School and College Students” के अंतर्गत आयोजित किया गया।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए साझा प्रतिबद्धता
इस प्रशिक्षण सत्र में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के संयुक्त निदेशक अनिल व्यास, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जोधपुर महानगर के सचिव राकेश रामावत, तथा जोधपुर जिले के विभिन्न ब्लॉकों से आए प्रमुख हितधारकों—ब्लॉक सोशल सिक्योरिटी ऑफिसर, हॉस्टल अधीक्षक/वार्डन, काउंसलर, नर्सें एवं DCPU प्रतिनिधि—ने सक्रिय भागीदारी निभाई।
संवेदनशील संवाद एवं व्यवहारिक रणनीतियों पर बल
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को छात्रों में तनाव, अवसाद एवं आत्महत्या की प्रवृत्तियों को पहचानने, प्रारंभिक मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप लागू करने तथा हॉस्टल परिसरों में सहयोगात्मक एवं सहानुभूतिपूर्ण वातावरण सृजित करने की व्यवहारिक रणनीतियों से अवगत करवाया गया। उन्हें मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के लक्षणों की पहचान तथा संवाद की संवेदनशील तकनीकों पर विस्तार से प्रशिक्षित किया गया।
डॉ. नीती रुस्तगी के मार्गदर्शन में हुआ आयोजन
इस प्रशिक्षण का सफल संचालन एम्स जोधपुर के सामुदायिक चिकित्सा एवं परिवार चिकित्सा विभाग की प्रोफेसर डॉ. नीती रुस्तगी के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। उन्होंने प्रतिभागियों को छात्रों के साथ जुड़ने की वैज्ञानिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित तकनीकों से अवगत कराया।सभी प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए अपने-अपने कार्यक्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने का संकल्प लिया। सत्र के अंत में यह स्पष्ट हुआ कि हॉस्टलों में छात्रों की मानसिक स्थिति पर सतत निगरानी, संवाद और सहयोगात्मक दृष्टिकोण ही सशक्त समाधान का आधार बन सकता है। इस विशेष प्रशिक्षण सत्र का मूल उद्देश्य यह था कि हॉस्टलों में निवासरत छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं एवं आत्महत्या के जोखिम को समय रहते पहचानने एवं उस पर प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने की दिशा में सभी हितधारकों की सामूहिक क्षमता का निर्माण किया जाए।यह आयोजन छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति एक मजबूत सामुदायिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो आने वाले समय में विद्यार्थियों की समग्र भलाई और सशक्त भविष्य के निर्माण में सहायक सिद्ध होगा।