

राजस्थान का सबसे लम्बे समय तक चलने वाला रेस्क्यू ऑपरेशन चेतना 06 वें दिन भी रहा जारी, एनडीआरएफ की टीम 150 फिट गहरे बोरवेल में खोद रही टनल
चेतना की माँ की चीत्कार, पीएम मोदी व सीएम भजन लाल शर्मा से गुहार, भूख-प्यास से तड़प रही मेरी बेटी को किसी भी तरह बाहर निकाल दो
कोटपूतली। सोमवार, 23 दिसम्बर की दोपहर करीब 02 बजे कोटपूतली के ग्राम किरतपुरा की ढ़ाणी बड़ीयाली में बोरवेल में गिरी 03 वर्षिय मासूम बालिका चेतना पुत्री भूपेन्द्र चौधरी को 05 दिन से अधिक का समय 150 फिट गहरे गड्डे में हो चुका है। शनिवार को 06वेंं दिन लगभग 125 घण्टे बीत जाने पर भी चेतना का रेस्क्यू ऑपरेशन सफल नहीं हुआ है। अगर आंकड़े ठीक है तो यह राजस्थान ही नहीं बल्कि पुरे भारत का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन बन चुका है। कुल मिलाकर चेतना के परिजनों समेत ग्रामीणों का भरोसा अब पुलिस प्रशासन व सरकार के साथ-साथ नीयति से उठ चुका है। रेस्क्यू ऑपरेशन में एक के बाद एक आ रही अड़चनों ने नीयति की बेरूखी दिखाई है, जिससे बेबसी के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा है। वहीं दुसरी ओर चेतना के मामा व ताऊ ने प्रशासन के रेस्क्यू अभियान पर सवाल उठाते हुये जिला कलक्टर के प्रति भी नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि प्रशासन स्पष्ट तौर पर नहीं बता रहा है कि वास्तव में चल क्या रहा है। इसके अलावा चेतना की माँ धोली देवी की हालत भी बिगड़ी हुई है। उन्होंने रो-रो कर पीएम नरेन्द्र मोदी व सीएम भजन लाल शर्मा से गुहार लगाई कि मेरी बच्ची 05 दिनों से भूखी है, उसे किसी भी तरह बाहर निकाल दो। धोली देवी का दर्द और चीत्कार आत्मा को झकझोर कर रख देने वाला है। धोली देवी बार-बार बेहोश हो रही है, उनका बीपी नीचे जा रहा है, रो-रोकर केवल एक ही बात कह रही है कि मेरी बेटी को बाहर निकाल दो। सीएमएचओ डॉ.आशीष सिंह शेखावत के नेतृत्व में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार हालातों की मॉनीटरिंग कर रही है। डॉ.शेखावत ने बताया कि धोली देवी कुछ खा नहीं रही है, जिन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया है। चेतना के रेस्क्यू को लेकर फिलहाल बनी हुई स्थिति के आगे सभी बेबस है। रेस्क्यू में प्लान ए के विफल होने के बाद प्लान बी के सहारे चेतना को बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन उसमें भी तकनीकी खामियों के साथ-साथ बाधाओं पर बाधायें आती जा रही है। इधर बच्ची का कोई मुवमेंट भी नहीं मिल रहा है। प्रतिदिन प्रशासन द्वारा नया प्लान तो बनाया जाता है लेकिन समय बीतने के साथ-साथ वह विफल ही हो जाता है। इसको लेकर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिविल डिफेंस, आरएएसी समेत स्थानीय पुलिस प्रशासन के साझा प्रयास अभी तक सिफर ही साबित हुये है। स्थानीय प्रशासन द्वारा देशी तकनीक से प्लान ए के विफल हो जाने के बाद पूर्णतया: प्लान बी पर निर्भर होकर आगे के प्रयास किये जा रहे है। जिला कलक्टर कल्पना अग्रवाल निरन्तर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिविल डिफेंस, स्थानीय पुलिस प्रशासन एवं होम गार्ड के अधिकारियों के साथ मौके पर मौजूद रहकर हालातों की मॉनीटरिंग कर रही है। शुक्रवार रात्रि जयपुर ग्रामीण सांसद राव राजेन्द्र सिंह ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू अभियान का जायजा लिया। साथ ही अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश देकर जिला कलक्टर कल्पना अग्रवाल के साथ बच्ची के दादा हरसहाय चौधरी समेत परिजनों से भी बातचीत की। घटना के बाद से ही एडीएम ओमप्रकाश सहारण, एसडीएम बृजेश चौधरी, एसपी राजन दुष्यंत, एएसपी वैभव शर्मा, नगरपरिषद आयुक्त धर्मपाल जाट समेत पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर मौजूद है एवं लगातार मौके को सम्भाले हुये है। घटना स्थल पर दिन व रात के समय में बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ भी जमा है। पुलिस द्वारा किरतपुरा की ढ़ाणी बडिय़ाली की ओर जाने वाले रास्तों पर बैरीकेडिंग भी की गई है। ताकि बाहरी क्षेत्रों से आने वाले लोगों की भीड़ मौके पर एकत्रित ना हो। लम्बा समय बीतने पर बच्ची की सुरक्षा को लेकर चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। वहीं दुसरी ओर विधायक हंसराज पटेल शनिवार को दिन भर मौके पर मौजूद रहकर रेस्क्यू अभियान की मॉनीटरिंग करते रहे। विधायक पत्नी श्रीमती राधा पटेल ने भी पीडित परिवार की महिलाओं से मिलकर उन्हें आश्वासन दिया। वहीं दुसरी ओर चेतना की सकुशल सलामती के लिये प्रार्थनाओं का दौर भी निरन्तर जारी है।
निरन्तर हो रही बारिश बनी आफत का सबब
उल्लेखनीय है कि चेतना करीब 750 फिट गहरे बोरवेल में करीब 150 फिट पर अटकी हुई है। प्रशासन द्वारा प्लान ए के तहत देशी तरीके से प्रयास विफल रहने के बाद प्लान बी के तहत हरियाणा के गुरूग्राम से मंगवाई गई पाईलिंग मशीन से शुक्रवार रात्रि मौके पर खोदे गये 170 फिट गहरे गड्डे में केसिंग का कार्य पुरा किया। रात भर रूक-रूक कर होती रही बारिश से केसिंग में वैल्डिंग के कार्य के दौरान बाधा भी सामने आती रही। एनडीआरएफ निरीक्षक योगेश मीणा ने बताया कि 170 फिट गहरे गड्डे में जहां से टनल खोदी जानी है, वहां के बिन्दू को मिट्टी डालकर समतल किया गया है। एनडीआरएफ की टीम व रैट माईनर्स के दो-दो लोगों की तीन टुकड़ी बनाई गई है। केसिंग का कार्य खत्म होने के बाद विशेष टीम को उतार कर गड्डे में ऑक्सीजन के लेवल व रोशन की जांच की गई। 20 मिनट तक गड्डे में ऑक्सीजन समेत भौगोलिक स्थिति व वातावरण की जानकारी भी ली गई। साथ ही बोरवेल में पंखा, लाईट, ऑक्सीजन व कटर मशीन को भी पहुंचाया गया। जिसके बाद 90 डिग्री पर एल बैंड शेप में 08 से 09 फिट लम्बी हॉरिजोंटल टनल खोदी जा रही है। जिसमें तीनों टुकडिय़ां एक-एक कर टनल की खुदाई का कार्य कर रही है। टनल में भी पत्थर आदि सामने आये है। जिनकी वजह से कटर व विशेष संसाधनों का उपयोग कर धीरे-धीरे टनल को खोदा जा रहा है। टनल पुरी खोदने के बाद ही चेतना को रेस्क्यू किया जा सकेगा। बारिश के चलते मौके पर वॉटर पु्रफ टैण्ट भी लगाया गया है। इसमें रैट माईनर्स का सहयोग भी लिया जायेगा। बच्ची हमारे ऊपर हो इससे हम नीचे से बोरवेल में बच्ची तक सबसे सुरक्षित तरीके से पहुंच सकेगें। फिलहाल जी शेप हुक के जरिये बच्ची को बोरवेल में अटकाया हुआ है। जहां देशी तकनीक से एल बैंड लगाकर अम्बे्रला बेस व जी शेप हुक लगाकर होल्ड पर रखा गया है। मीणा ने यह भी बताया कि दौसा में हुये रेस्क्यू ऑपरेशन से यहां परिस्थितियां भिन्न है। जिसके चलते रेस्क्यू में समय लग रहा है। मंगलवार तडक़े से ही बालिका की कोई मुवमेंट दिखाई नहीं दे रही है। प्रशासन द्वारा घटना स्थल पर ग्रामीणों को अलग हटा दिया गया है। सम्भवतया: शनिवार देर रात्रि तक बच्ची को रेस्क्यू किये जाने की उम्मीद है। समाचार लिखे जाने तक एनडीआरएफ टीम द्वारा टनल खोदने का कार्य जारी था।
क्या है मामला
विगत सोमवार, 23 दिसम्बर की दोपहर करीब 02 बजे मासूम बालिका चेतना (03) अपनी बड़ी बहन काव्या (07) के साथ बोरवेल के पास खेलते हुये उसमें अचानक गिर गई थी। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस प्रशासन में हडक़म्प मच गया था। जिसके बाद जयपुर से एनडीआरएफ-एसडीआरएफ की टीम को बुलाकर चेतना को रेस्क्यू करने का ऑपरेशन शुरू किया गया था। लगभग 750 फिट गहरे बोरवेल में चेतना करीब 150 फिट पर फंसी हुई थी। उसे लोहे की एल बैंड के देशी जुगाड़ के जरिये निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन करीब 3-4 प्रयास के बावजुद भी वह प्रयास विफल ही रहा है। इस दौरान उसे कई बार 30-40 फिट ऊपर उठाकर करीब 120 फिट तक लाया गया था। जिससे उसके बाहर निकलने की सम्भावनायें बन गई थी, लेकिन हर बार यह प्रयास विफल रहे। इस दौरान कैमरे में तकनीकी खराबी आ जाने के कारण ऑपरेशन रूका रहा। मौके पर किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिये चार एम्बुलेंस भी तैनात की गई है। बच्ची को बचाने में एनडीआरएफ के 25 व एसडीआरएफ के 15 जवान जुटे हुये है। वहीं नगरपरिषद के 25 कार्मिकों के साथ-साथ पुलिस के 40 जवान भी मौके पर तैनात है। इसके अलावा सीएमएचओ डॉ.आशीष सिंह शेखावत व बीसीएमओ डॉ.पूरण चंद गुर्जर के नेतृत्व में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम को भी तैनात किया गया है। चिकित्सकीय टीम को अलर्ट रखा गया है। मौके पर स्वास्थ्य विभाग से पीडीयाट्रीशियन, एनेस्थिशियां विभागाध्यक्ष एवं 19 नर्सिंगकर्मी भी मौजूद है। वहीं प्रति घण्टे 01 ऑक्सीजन सिलेंडर इस्तेमाल में लिया जा रहा है। अभी तक करीब 125 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर इस्तेमाल किये जा चुके है।