

भीलवाड़ा। कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा पर कृषि प्रौद्योगिकी प्रबन्ध अभिकरण आत्मा द्वारा दो दिवसीय खरीफ पूर्व कृषक वैज्ञानिक संवाद संगोष्ठी का आयोजन दो दिन किया गया। संगोष्ठी में डॉ. जे. पी. मिश्रा, निदेशक-आईसीएआर, कृषि तकनीकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोधपुर क्षेत्र 2 ने किसानों को खेती में नवीनतम तकनीकी के समावेश द्वारा अधिक उत्पादन लेने एवं आवश्यकता अनुसार खाद एवं उर्वरक देने की आवश्यकता जताई। डॉ. लोकेश गुप्ता, सदस्य-प्रबन्ध कार्यकारिणी मण्ड़ल, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर तथा अधिष्ठाता डेयरी एवं खाद्य विज्ञान प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, उदयपुर ने कम लागत द्वारा अधिक उत्पादन लेने पर जोर देते हुए व्यावसायिक खेती अपनाने की आवश्यकता जताई। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सी. एम. यादव ने केन्द्र की गतिविधियों की जानकारी देते हुए खरीफ फसलों में खेती के दौरान आने वाली समस्याओं एवं उनके समाधान के बारे में तकनीकी जानकारी दी। मीना कुमारी, उपनिदेशक आत्मा भीलवाड़ा ने विभागीय योजनाओं की जानकारी एवं अनुदान के बारे में जानकारी देते हुए जागरूक होकर अधिक से अधिक लाभ लेने का आह्वान किया। बारानी कृषि अनुसंधान केन्द्र के शस्य वैज्ञानिक डॉ. के. सी. नागर ने खरीफ की फसलों की उन्नत किस्में, खरपतवार प्रबन्धन एवं समन्वित कृषि प्रणाली के बारे में बताया। कृषि विज्ञान केन्द्र शाहपुरा के उद्यान वैज्ञानिक डॉ. राजेश जलवानियाँ ने मातृवृक्ष बगीचे का रेखांकन, विदेशी सब्जी उत्पादन एवं पॉली हाउस, शेडनेट हाऊस तकनीकी द्वारा आमदनी बढ़ाने की आवश्यकता जताई। तकनीकी सहायक अनिता यादव ने मृदा में उपस्थित पोषक तत्त्वों का महत्त्व एवं उपयोगिता पर जोर देते हुए मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिशों के अनुसार खेती करने का सुझाव दिया। संगोष्ठी में जिले के 28 किसानों ने भाग लिया।